Friday, 19 October 2012

मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना

मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना
तुझे मिल गई पुजारिन मुझे मिल गया ठिकाना

मुझे कौन जानता था तेरी बन्दगी से पहले
तेरी याद में बना दी मेरी जिन्दगी फसाना मुझे रास ....


मुझे इसका गम नहीं है, की बदल गया जमाना
मेरी जिन्दगी के मालिक कही तुम बदल न जानामुझे रास ....

तेरी सावरी से सूरत मेरे मन में बस गई है
ए सावरे सलोने अब और ना सताना
मुझे रास ....

मेरी आरजू येही है दम निकले तेरे दर पे
अभी सांस चल रही है कही तुम चले ना जाना
मुझे रास ....

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