Tuesday, 4 September 2012

मैं तो वृन्दावन को जाऊं सखी

मैं तो वृन्दावन को जाऊं सखी,
मेरे नैना लगे बिहारी से।
घर में खाऊन रूखी सूखी,
मोहे माखन मिले बिहारी से।
मोरे नयना लगे बिहारी से॥
घर में पहनू फटे पुराने,
मोहे रेशम मिले बिहारी से।
मोरे नयना लगे बिहारी से॥
घर में होए निज कीच-कीच-बाजी,
मोहे आनंद मिले बिहारी से।
मोरे नयना लगे बिहारी से॥
घर में सास ननदिया लड़े हैं,
मोहे सत्संग मिले बिहारी से।
मोरे नयना लड़े बिहारी से॥


2 comments:

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    1. Thanks for your lovely comment, will send you a friend request from facebook for sure!

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